...

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तुम मिलो चाहे जैसे भी
तुम मिलो चाहे जैसे भी,
कुछ अल्फाज ऐसे भी.....

तुम नहीं होती तो पतझार सा सूख जाता हूँ,
तेरे विरह में सूखने से टूट जाता हूँ।
मैं मिटकर खिलता हूँ कहीं बागों में,
आती जब तुम तुम्हें छूता चाहे कैसे भी।
तुम मिलो......

शरद...