...

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मैं भी ना !
भी ना!
वो हूं
जो अक्सर खुद से मिलने लगी हूं आजकल !
और
जानने लगी हूं
कुछ और भी हूं मैं
सबसे जुदा
सबसे अलग
लोग कभी कभी
अहमक भी कहा करते हैं
तो कभी
नेक दिल का भी नाम दे देते हैं !
लेकिन
अपनी ही धुन में मैं
अपने आप से ही
बेहतर बना करती हूं
रोज़,हर दिन ,हर पल
और
फिर जब भी सुबह उठकर
आईने में खुद को
निहारा करती हूं
मुस्कुरा देती हूं
इतराया भी करती हूं
और
खुद ही से कहती हूं
मैं भी ना!!!
© preet
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