...

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किस बात पर लिखूं
दिन पर लिखूं या रात पर लिखूं,
ऐ दिल बता किस बात पर लिखूं.
वो मिलना,बिछड़ना भूले नहीं अभी,
पूछे वक्त कौनसी मुलाकात पर लिखूं.
हर नज़र की तराजू पर वजन जुदा मेरा,
ऐसा करूं क्यों न अपनी औकात पर लिखूं.
हक़ीक़त की विसात पर ख्वाबों के मोहरे,
जीत पर कभी,कभी अपनी मात पर लिखूं.
कभी ठोकर कभी सहारे मिले हैं तकदीर के,
जो मिला 'भानु' तुझे उसी सौगात पर लिखूं.