...

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सिर्फ चाहत है
सब सिर्फ चाहते हैं।
मन सुकून चाहता,
शरीर आराम,
खुद के नाम की चाहत
घर काम चाहता है
रिश्ते भी अपने अपने है
हर रिश्ते कि अपनी चाहत,
एक आदमी
कितने क़िरदार
कैसे निभाय
सबका साथ
हम भी दुखी
आप भी दुखी
सब के सब
ये चाहत तु दूर जा
रहने दे चैन से
बैचैनी तू है
असंतुष्टि भी तु ही
अब बस भी कर।
# अमृता
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