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दीवार नां बनो....
दीवार नां बनो
मेरी मज़बूरी को समझो तुम, नादां मत बनो
जो टूट जाऊं मैं छन से, वो दीवार नां बनो

उम्मींद है तुम्हारे साथ, बुढ़ापा बीतेगा मेरा
मेरे बुढ़ापे की लाठी बनो, दीवार नां बनो

तुम ही से है रोशन सारे, मेरे घर और परिवार
तुमसे है वजूद में, नाम वंश का और आकार
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