...

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जनसंख्या
तन पर कपड़ा नहीं एक
आंखों से आंसू टपक रहे
कहने को क्या कहा जाए
बच्चे ही बच्चे बरस रहे |
रूस्तम रोवत आए रहा
अंजुम भी खेलत होय कहीं
सलमा को मिले बिछौना ना
बलमा भी सोवत होय कहीं |
बानो भी चिल्लाए रही
समीना का रोष ठिकाना ना
अम्मा देखो तनिक आए
भैया हग दिहिस बिछौना मा |
लरकन की भरमार देख
हम तो जैसे सठियाय गयन
शादी की कौनौ बात करै
कटहा कुकुर अस
खिझिआय लीन |
तब समझावा उनका हम
का जनसंख्या में कमी अबै
यदि कोई कसर तनिकौ भी
भर डारौ झटपट सीट वहै |
© देवेश शुक्ला