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'भारतवासी'
थे वीर पुरुष भारतवासी,
थे अधिकार जनक भारतवासी,
भारतमाता की लौह से उठते थे भारतवासी,
विशालकाय गुलामी से जूंह कर उठ पाए ये वासी।
हाथ था जिनका सबसे बड़ा आजादी को दिलवाने में,
उनको कहते है राष्ट्रपिता भारत के इतिहासों में,
उनके प्रेम को देख कर हरकोई कहने लगा,
भारतवासी भारतवासी आजादी की महिमा भारतवासी।
विश्वास था जिनका हिंसा पर, कहते है उनको सुभाष चन्द्र।
है वो लाखों भारतवासी के प्रेरणा मंत्र,
बस्ती थी उनकी जान हर भारत के गाओं में,
नहीं चाहते थे वो आए ये सब अंग्रेजों के गुलामों में।
देख कर हिंसा रखनेवाले को हर बच्चा बच्चा कहने लगा,
भारतवासी भारतवासी आजादी की महिमा भारतवासी।
नारी ने कर दिखलाया ऐसा,
अंग्रेज़ भी हो गए थे देखकर भौंचक्का,
पुरूषों से भी शक्तिशाली,
वो तो थी झांसी की रानी।
ना बंदूक ना तलवार उन पर काम आई,
उन्होंने झांसी को आजादी थी दिलवाई।
देखकर उनकी बहादुरी,
झांसी के वासी कहने लगे,
भारतवासी भारतवासी आजादी की महिमा भारतवासी।
जब गुलामी पड़ी थी पूरे देश में,
तब भगत सिंह आए नायक के भेष में।
वह थे सच्चे देश प्रेमी,
क्युकी उनमें जल रही थी
भारत को आजाद करने अग्नि।
इस ही जोश में वो करते थे अंग्रेजों का विरोध पर,
मगर दुष्ट अंग्रेजों ने उन्हें च्ढा दिया फांसी पर।
इसी विरोध को देखकर हर सानिक व जवान कहने लगे भारतवासी भारतवासी आजादी की महिमा भारतवासी।

_Written by Sana.
#don'tforgetyourcountry

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