बहनें
आती हैं इस दुनिया में
बिलखती, खिलखिलाती हुई
पली बड़ी हैं नाज़ों से
कभी रोती, कभी मनाती हुई
है अद्भुत तिलिस्म जो सम्पूर्ण जीवन
एक धागे से बंधन में लाएँ
जिनकी एक मुस्कान की खातिर हम
जी-जी जाएँ, मर-मर जाएँ
बचपन के खेल घरों में जो
सौम्यता का दिया जलाएँ
स्व ह्रदय करुणा जल से
मानवता पावन कर जाएँ
ऐसी बहनों की बिदाई पर
क्यों...
बिलखती, खिलखिलाती हुई
पली बड़ी हैं नाज़ों से
कभी रोती, कभी मनाती हुई
है अद्भुत तिलिस्म जो सम्पूर्ण जीवन
एक धागे से बंधन में लाएँ
जिनकी एक मुस्कान की खातिर हम
जी-जी जाएँ, मर-मर जाएँ
बचपन के खेल घरों में जो
सौम्यता का दिया जलाएँ
स्व ह्रदय करुणा जल से
मानवता पावन कर जाएँ
ऐसी बहनों की बिदाई पर
क्यों...