...

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जाने दो..!
#जाने-दो..!
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया...

बेवक्त जो वक्ता बना गया,
बातों से अपनी छला गया
सब में होती वो बात कहां
ऐसी होती दिन रात कहां
खोल नयन के पिंजरे को
अपने में मुझे वो समा गया
जाने दो जो चला गया..

क्या रोना जानेवालों पर
जो हाल हुआ परवानों पर
रखा तो अपने पास उसे
पर तिल तिल कर जला गया
जाने दो जो चला गया.....

अब मैं हूं मेरे आंसू हैं
जीवन के जो बस साथी हैं
एक मोड़ सुनहरा आया था
थोड़ी देर रुकी खुशियां मेरी
उम्मीदों के गोते खाता दिल
खुद से खुद को भगा गया
जाने दो जो चला गया.....

© Abhi