...

12 views

आशियाने जले बस कहने को घर बने
वो पूछ रही थी घर होते हुए भी तुम यूँ मुसाफिरों की तरह क्यूँ भटकते हो,
वो पूछ रही थी की इस गली मे तुम यूँ मुसाफिरों की तरह क्यूँ भटकते हो,
अब क्या बताते उन्हें कि जिसे वो बंजारा समझ रही हैं वो उनके दिल में आशियाना बनाने की मुराद लेकर बैठा है 🥀
© adarshwrites