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आशियाने जले बस कहने को घर बने
वो पूछ रही थी घर होते हुए भी तुम यूँ मुसाफिरों की तरह क्यूँ भटकते हो,
वो पूछ रही थी की इस गली मे तुम यूँ मुसाफिरों की तरह क्यूँ भटकते हो,
अब क्या बताते उन्हें कि जिसे वो बंजारा समझ रही हैं वो उनके दिल में आशियाना बनाने की मुराद लेकर बैठा है 🥀
© adarshwrites
वो पूछ रही थी की इस गली मे तुम यूँ मुसाफिरों की तरह क्यूँ भटकते हो,
अब क्या बताते उन्हें कि जिसे वो बंजारा समझ रही हैं वो उनके दिल में आशियाना बनाने की मुराद लेकर बैठा है 🥀
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