ऐ स्याही रंग दे मुझे
ऐ स्याही रंग दे मुझे मैं कुछ रंगना चाहता हूं
मैं तकदीर का नही अपना लिखा मुकद्दर चाहता हूं
बुनियाद मिट्टी की नही पसीने की चाहता हूं
ऐ स्याही रंग दे मुझे मैं कुछ रंगना चाहता हूं
मैं सफर की चाह में मंजिल को पीछे छोड़ आया हूं
मुक्तलिफ उससे जुड़े सब छलावे छोड़ आया हूं
ऐ स्याही रंग दे मुझे मैं कुछ रंगना चाहता हूं
मैं चाहता हूं कि तुम मेरे सफर की हम सफर बनो
पर मैं वो खयाल भी कुछ वक्त पहले ही छोड़ आया...
मैं तकदीर का नही अपना लिखा मुकद्दर चाहता हूं
बुनियाद मिट्टी की नही पसीने की चाहता हूं
ऐ स्याही रंग दे मुझे मैं कुछ रंगना चाहता हूं
मैं सफर की चाह में मंजिल को पीछे छोड़ आया हूं
मुक्तलिफ उससे जुड़े सब छलावे छोड़ आया हूं
ऐ स्याही रंग दे मुझे मैं कुछ रंगना चाहता हूं
मैं चाहता हूं कि तुम मेरे सफर की हम सफर बनो
पर मैं वो खयाल भी कुछ वक्त पहले ही छोड़ आया...