...

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डिप्रेशन
ज़िन्दगी भी क्या खे़ल दिखाती है?
न जाने ये किसी को कितना तड़पाती है।।
आख़िर हँसते हुए चेहरे को दिखाते वक़्त।
वह इंसान भी कितना तड़पता होगा।।
और हँसते हुए चेहरे को दिखाते समय।
न जाने वह अन्दर ही अन्दर कितना तड़पता होगा।।
न जाने एक इंसान कैसै अपने ज़ख़्मों को छिपाता है।
और अंदर ही अंदर इस डिप्रेशन नामक बीमारी का शिकार बन जाता है।।
सुना है कि यह डिप्रेशन आज एक और मौत का कारण बना।
और उसके परिवार वालों को मिले कभी न मिटने वाले दर्द का भी एक उदाहरण बना।।
न जाने ये डिप्रेशन और कितनी ज़िन्दगियों को नर्क बनायेगा।
और न जाने कब ये डिप्रेशन नामक कैंसर मानव जीवन से जायेगा।।
आज डर लगता है इस बात को सोचकर कि मानव ख़ुद से ही इतना टूट...