...

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होली
हिरण्यकश्यप दुराचारी की
दुराचारिणी ही एक बहना थी
ऋषि कश्यप-दिति की थी सुता
पर कलुषित बुद्धि ही उसकी गहना थी
नारायण के प्रिय भक्त को भष्म करने की उसकी मंशा थी
अग्नि से भी जो ना जले ऐसी वो विध्वंसा थी
श्री हरि पालन कर्ता के मन मे था इनसे क्षोभ बड़ा
हिरण्यकश्यप के ह्रदय में भी विश्व विजय का था लोभ बड़ा
प्रह्लाद को गोद मे लेकर बुआ ने...