...

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सजा!
करवटे तेरी याद में रातें हमारी हर रोज बदल लेती है।
छुँ लू जो तस्वीर तेरी तो,
धुंधला सा घूँघट ओ ओढ लेती है ।
समझ नहीं पाता ये दीवाना दिल मेरा,
ओ घूँघट ओढ़े है तस्वीर तेरी या पिघलते मेरे आँसु।
पर भीगा हुआ तकिया मेरी कहानी बयां कर देता है।।

हर ओ बिता हुआ लम्हा मेरा तेरे साथ,
मेरी परछाई बन बैठा है।
हाथों में लिया हुआ तुमने ओ हाथ मेरा,
दिल सुनहरे ख्वाब बुन बैठा है।
कैसे समझाऊँ इस दिल ए नादान को,
कि तेरी मोहब्बत जल पर उभर आयीं लहर थी,
जो जल में ही सारे अरमान समां ले गयी थी।।

कहदे तू मुझे ये बेगैरत जान ए अदा,
मोहब्बत हमसे क्यों ख़फा हो गई है ।
कत्ल तो तुमने किया आशिकी का,
मगर ताउम्र रोने की सजा हमनें पायीं है।।

© शिवाजी