रचना
खुदा की रचना ने रचा है कुछ ऐसा की देख के अचरज़ होता है.......
जहा किसी का महल संगमरमर का है और कोई सड़को पर सोता है.....
जहा कोई गुमनाम है....
वही कोई आबरू संभाले हुए भी बदनाम है....
जहा दंगों में अब कोई जगह शमशान है...
तो कही फुलो का बगीचा भी वीरान है...
तेरे हर करिश्मे का अब हर कई सौदागर है !!...
जहा किसी का महल संगमरमर का है और कोई सड़को पर सोता है.....
जहा कोई गुमनाम है....
वही कोई आबरू संभाले हुए भी बदनाम है....
जहा दंगों में अब कोई जगह शमशान है...
तो कही फुलो का बगीचा भी वीरान है...
तेरे हर करिश्मे का अब हर कई सौदागर है !!...