...

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सहजादी
उसके होठ, गाल, आँखे, झुल्फे ,उसके नक्स अक्स हाये वो सहजादी,
उसको देखकर गजलकार गजले लिखने लग जाते हैं,
शायर शेर सुनाने लग जाते हैं,
ये नन्हे नन्हे पंछी गुनगुनाने लग जाते हैं,
मूर्तिकार खुदा की मूर्ति छोड़कर उसे तराशने लग जाते हैं,
उस सहजादी को पाने के लिए अस्मा स फरिश्ते भी उतरने लग जाते हैं,
सहजादी क्या बला ह उन माँ ओ से पूछो,
जिनके बच्चे बाली उम्र में जवान हो जाते हैं,
ओर जवान उसे पाने के लिए जंग करने लग जाते हैं,
पता नही लोग किस ख्याल में जंग करते हैं ,
ओर किस ख्याल में जंग जीत जाते हैं,
वह ऐसी सहजादी है जंग के मैदान में भी दुश्मनों के ख्याल में आ जाती है,
दुश्मन उसको पाने के ख्याल में हथियार छोड़ देते हैं
ओर हम बिना लड़े जंग जीत जाते हैं।
© Verma Sahab