...

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*** निगेवाह ***
*** कविता ***
*** निगेवाह ***

" वो हैं सामने अब मैं बात क्या करू,
उसकी नजर मुझपे निगेवाह हैं ,
उसकी नजर में फिर मैं तलाश क्या करु ,
रुखसते ख्याल क्या करु की ,
इस बात पे खामोशी पुरजोर हैं ,
वो हैं सामने अब मैं बात क्या करु ,
यूं देख के...