...

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जिना चाहता हूँ..
#पहचान
बनेगा जो सास्वत वही आधार होगा,
पहचान तेरा नाम अपितु काम होगा;
आख़िरी सांस लेने से पहले खुद के लिये जी
यहा हर कोई फिरता है लगाके चेहरा फर्जी..

बहुत थक गया हूँ,अब रुकना चाहता हूँ
बची है जो जिंदगी,उसे जिना चाहता हूँ
नहीं चाहीये किसिका साथ,अकेला काफी हूँ
मैं अभी भी खुद में,थोडा और बाकी हूँ..

सुकून के लिये अब तक भाग रहा था
मन था सोया,बस जमीर जाग रहा था
तुमने मुझसे किये हुये,कुछ वादे है
तेरे साथ ना होने से,सारे आधे है..

अब ना ज्यादा कुछ सहना चाहता हूँ
बची है जो जिंदगी,उसे जिना चाहता हूँ..

© ram gagare