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तेरा नाम लेते ही
तेरा जिक्र होते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है
मेरे ही जज्बात मुझ पर ही हाबी होने लगते है
चारों दिशाओं में तेरा ही अक्स नजर आता है
तुझे याद करते ही धड़कने बढ़ने लगती है
चाह कर भी अपनी धड़कनों पर काबू नहीं प पाता
तुम वो मीठा एहसास हो
जिसमें हर पल में घुलता जा रहा हूं
तू घुल गया मेरी रग रग में
मैं खुद को खोता जा रहा हूं
तुझको चाहा है ऐसे
किसी और को चाहने का ख्याल ही ना रहा
तुझको चाहा इस तरह तू मेरा खुदा हो गया
तू मेरी जुबा हर सांस पर रमा हो गया
सोचा था आपसे गुप्त गू करने के बाद
थोड़ा काम कर लिया जाए
लेकिन मन है कि आपसे भरता ही नहीं
आपसे कुछ इस तरह मोहब्बत है की चाह कर भी चाह रह ही जाती है ।।
© Mamta

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