...

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रोने से भला क्या हासिल होगा..
रोने से क्या
हासिल होगा
दम साधे
बस चुप रहना
भीगे-भीगे
दिदें लेकर
वज़नी-वज़नी
पलकें रखकर
ग़म को अपने
रोके रखना
आँखें मलना
देखते रहना
कुछ न कहना
कुछ न सुनना
सकित रहना
लब सिलना
शोर भले हो
आहट हो
चीख़ें ही
चिल्लाहट हो
कुछ भी बोले
उजलत न करना
कुछ न करना
कुछ न कहना
कुछ न सुनना
पत्थर की मूरत बनकर
ग़म की सूरत ढलकर
चुप रहना
संजीदा रहना।