...

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वह दूर जाता रहा
मन्नतों के धागे इश्क़ में दर-दर बांधते रहे हम ।
वह दूर जाता रहा उसे पुकारते रहे हम ।

भरोसा कहो या हद थी दीवानगी की मेरी
उसके झूठ को भी हमेशा सच मानते रहे हम ।

उसके बातों में एक मिठास थी या ज़हर था मीठा सा ।
इलाज-ए-इश्क़ की दवा समझकर जहर हीं मांगते रहे हम ।

वो देख रहा था ख्वाब नाजुक फूल और कलियों की आँखों को बंद कर ।
चाँद सितारें भी छिपने को थे पर यादों में उसके जुगनुओं की तरह जागते रहे हम ।

वो बेगैरत खेल रहा था मेरे दिल से पुराने खिलाड़ियों के तरह।
ताज्जुब की बात है इश्क़ की बाज़ी बड़े प्यार से हारते रहे हम।

जीता तो वो था पर ईनाम-ए-इश्क़ मुझे दे आँखों में मेरे समंदर भरकर चला गया।
कल तक जिसकी आँखों को घण्टों ताकते रहे हम।

आज रो पड़ी ये आँखें कि इस टूटे दिल के तरह तोड़ दिए हमनें उसकी तस्वीर को ।
जिसे मोहब्बत की निशानी समझकर कल तक संभालते रहे हम।



© shalini ✍️
#life
#Love&love