मज़बूरी....
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
प्यार में एक सबक मिलना हुजूरी है।
सबको अपने सपनों को
कामयाब बनाने की कोशिश पूरी है,
उस खुशी के खोज
कि बेसब्री अधूरी है।
© All Rights Reserved
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
प्यार में एक सबक मिलना हुजूरी है।
सबको अपने सपनों को
कामयाब बनाने की कोशिश पूरी है,
उस खुशी के खोज
कि बेसब्री अधूरी है।
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