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ये गुमान भी ना....
नासमझ न तू है, ना मैं हूं
बस वक्त का कुछ फेर है।
कही बातों को अनसुना
किए जा रहे हैं हम
ना तू समझने को तैयार ,ना मैं
दूरियों की वजह कुछ बड़ी नहीं,
बस एक गुमान है हमारे दरमिया,
तू खुद के गुमान में मदहोश है,
तो मैं खुद के गुमान में मसरूफ हूं।
© Anjali Singh
बस वक्त का कुछ फेर है।
कही बातों को अनसुना
किए जा रहे हैं हम
ना तू समझने को तैयार ,ना मैं
दूरियों की वजह कुछ बड़ी नहीं,
बस एक गुमान है हमारे दरमिया,
तू खुद के गुमान में मदहोश है,
तो मैं खुद के गुमान में मसरूफ हूं।
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