...

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प्रेम पत्र
सिर्फ किसी के चले जाने भर से प्रेम
खत्म नही हो जाता तुम्हारे इस खूबसूरत
से दिल में प्रेम के ना जाने अभी कितने
रंग छिपे हैं जिसे महसूस कर सकते हो तुम
जो मिला नही तुम्हे वह प्रेम
किसी और को दे सकते हो तुम

प्रेम उस जलते दीपक की तरह है
जो देता है रौशनी नए ख्वाबों को सीने की
जो देता है उम्मीद फिर से हंसकर जीने की
फिर क्यों मायूसी पाल कर बैठे हो तुम
क्यों दिल से उम्मीदें निकाल कर रहते हो तुम
कुछ ख्वाब टूटे है तो नए ख्वाब भी खिलेंगे
कुछ लोग छूटे है तो नए लोग भी मिलेंगे

बस इस प्रेम को सदा खुद में बरकरार रखना तुम
दूसरों से पहले ज़रा खुद से भी प्यार करना तुम

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