...

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Chand me bhi daag hai
एक राज़ की बात है।
मानो तो सच , ना मानो तो बस एक ख़्वाब है
चाहता है हर कोई चांद जितना खूबसूरत दिखना।
शायद भूल गए हो की चांद में भी दाग है
क्यों उठाते हो उंगलियां
दूसरों के चरित्र पर
और खुद को चांद कहते हो
शायद भूल गए हो की चांद में भी दाग है
अक्सर दबाते हो अपनी गलतियां
अक्सर छिपाते हो अपनी कमियां
मौका ढूंढते हो
नीचा दिखाने को दूसरों को
मानते हो की दूसरों का चरित्र में दाग है
और खुद का चरित्र बेदाग है
शायद भूल गए हो की चांद में भी दाग है
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