""लिली को हुआ प्यार"". ( Edited Extra lines added)
लिली को हुआ प्यार, पड़ोस के माइकल के साथ।
सुबह का सुहाना मौसम ,दोनों का एक ही सड़क में संगम।।
अपनी ही भाषा में कुछ बतियाना, शर्माते हुए यूँ,नैनों से इश्क लड़ाना।
सुबह का टहलना ,शाम की सैर।
बाकी दिन -भर दोनों अपने -अपने घरों में कैद।।
लिली जो ना दिखे दिन में,
माइकल की बढ़ जाये बेचैनी ।
घर मे माइकल का जोर-जोर से चिल्लाना,
लिली को अपने होने का एहसास कराना।।
मौका मिलते ही छत में जाना ,
लिली को बरबस निहारना।।
लिली से मिलने को माइकल का जुनून कुछ ऐसा,
भागकर लिली के घर जाना ,अपनी आवाज में जोर से लिली को पुकारना।
अंदर से लिली का जवाब-ए-इश्क़ सुनकर
मंद-मंद मुस्कुराना।।
अब थोड़ा पिट भी जाये, इस-सब में, तो क्या गम है।
इश्क़ है जनाब जो ना कराए सो कम है।।
इश्क़ हुआ, यूँ ही कुछ छह -महीने पहले,
जब माइकल के मालिक की दावत में ,आयी लिली बनठन के , अपने बॉस के साथ।।
पहली बार लिली -माइकल का मिलना,
टकटकी लगाए एक-दूजे को निहारना।।
मिलते ही इजहार -ए -महोब्बत हो गयी।
यहाँ दावत तो खत्म हो गयी, लेकिन दोनों की महोब्बत शुरू हो गयी।।
महोब्बत परवान चढ़ ही रही थी, लिलिमा की ।
की आ गयी, जुदाई की वो मनहूस घड़ी।।
लिली के बॉस का आ गया ट्रांसफर लेटर।
लेकिन लिली-माइकल दोनों इश्क़ में मशगूल,
इस सबसे अंजान और बेखबर।।
लिली के बॉस ने दि विदाई पार्टी ,
जिसमें सभी आये देने बधाई।
सभी खुश उमंग से भरे मस्ती में चूर,
लेकिन यह क्या लिली माइकल दोनों बेचैन। उदास और हताश ।।
शायद दोनों को हो गया आभास ,यह अंतिम घड़ी है उनके मिलन की आज।।
कभी एक-दूसरे को चाटते और निहारते,
तो कभी जोर-जोर से भौकते।
बेबस बेजुबाँ ही सही,,
आँसूओं की जुबानी अपनी महोब्बत बयाँ कर दी1।।
दिन तो आगे भी रोज होगा,
लेकिन लिलीमा को एक -दूजे का दीदार ना होगा।।
इश्क़ कुछ चीज़ ही ऐसी है,
जो इंसान को ही नहीं ,जानवर को भी होता है।।
यह एक एहसास है, जो खुदा के हर बन्दे में होता हैं।।
प्रेमी हँसते हैं, रोते हैं,
और जाने क्या-क्या सहते हैं,,
कभी एक दुसरे के हो जाते हैं,
तो कभी उम्र भर जुदाई का गम सहते हैं ,,
अगर एक ना भी हो पाए,
तो भी महोब्बत के एहसास में ,
पूरी जिदंगी जी लेते हैं।।
© Rishav Bhatt
सुबह का सुहाना मौसम ,दोनों का एक ही सड़क में संगम।।
अपनी ही भाषा में कुछ बतियाना, शर्माते हुए यूँ,नैनों से इश्क लड़ाना।
सुबह का टहलना ,शाम की सैर।
बाकी दिन -भर दोनों अपने -अपने घरों में कैद।।
लिली जो ना दिखे दिन में,
माइकल की बढ़ जाये बेचैनी ।
घर मे माइकल का जोर-जोर से चिल्लाना,
लिली को अपने होने का एहसास कराना।।
मौका मिलते ही छत में जाना ,
लिली को बरबस निहारना।।
लिली से मिलने को माइकल का जुनून कुछ ऐसा,
भागकर लिली के घर जाना ,अपनी आवाज में जोर से लिली को पुकारना।
अंदर से लिली का जवाब-ए-इश्क़ सुनकर
मंद-मंद मुस्कुराना।।
अब थोड़ा पिट भी जाये, इस-सब में, तो क्या गम है।
इश्क़ है जनाब जो ना कराए सो कम है।।
इश्क़ हुआ, यूँ ही कुछ छह -महीने पहले,
जब माइकल के मालिक की दावत में ,आयी लिली बनठन के , अपने बॉस के साथ।।
पहली बार लिली -माइकल का मिलना,
टकटकी लगाए एक-दूजे को निहारना।।
मिलते ही इजहार -ए -महोब्बत हो गयी।
यहाँ दावत तो खत्म हो गयी, लेकिन दोनों की महोब्बत शुरू हो गयी।।
महोब्बत परवान चढ़ ही रही थी, लिलिमा की ।
की आ गयी, जुदाई की वो मनहूस घड़ी।।
लिली के बॉस का आ गया ट्रांसफर लेटर।
लेकिन लिली-माइकल दोनों इश्क़ में मशगूल,
इस सबसे अंजान और बेखबर।।
लिली के बॉस ने दि विदाई पार्टी ,
जिसमें सभी आये देने बधाई।
सभी खुश उमंग से भरे मस्ती में चूर,
लेकिन यह क्या लिली माइकल दोनों बेचैन। उदास और हताश ।।
शायद दोनों को हो गया आभास ,यह अंतिम घड़ी है उनके मिलन की आज।।
कभी एक-दूसरे को चाटते और निहारते,
तो कभी जोर-जोर से भौकते।
बेबस बेजुबाँ ही सही,,
आँसूओं की जुबानी अपनी महोब्बत बयाँ कर दी1।।
दिन तो आगे भी रोज होगा,
लेकिन लिलीमा को एक -दूजे का दीदार ना होगा।।
इश्क़ कुछ चीज़ ही ऐसी है,
जो इंसान को ही नहीं ,जानवर को भी होता है।।
यह एक एहसास है, जो खुदा के हर बन्दे में होता हैं।।
प्रेमी हँसते हैं, रोते हैं,
और जाने क्या-क्या सहते हैं,,
कभी एक दुसरे के हो जाते हैं,
तो कभी उम्र भर जुदाई का गम सहते हैं ,,
अगर एक ना भी हो पाए,
तो भी महोब्बत के एहसास में ,
पूरी जिदंगी जी लेते हैं।।
© Rishav Bhatt