...

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खोपड़ी का खेल
ये कहानी है दिमाग की शांति की,
जहां सुकून हो, वहीं असली जिंदगी की चाबी थी।
तो अपनी सोच बदल, और ध्यान लगा,
चल, अब असली बात पे आते हैं, संभल ज़रा!

बड़ा सा महल, या छोटी सी झोपड़ी,
खुशी वहीं मिलेगी, जहां शांत हो खोपड़ी।
चमकते शहर, या वीरान गांव,
दिमाग सधा हो, तभी लगे सब ठिकान।

भागता इंसान, सपनों के पीछे,
ना जाने सुकून है किस कोने में सींचे।
दौलत का भार, या ख्वाबों का जाल,
खुशी तो वहीं है, जहां सुकून का हाल।

सुन रे भाई, सुकून...