...

16 views

सवेरा
तिमिर को मिटाती, उषा की किरणें हैं आयी
भोर हो गई जागो उठो आया सुनहरा सवेरा

सजे शिवालय बजे घंटियाँ गूँज उठा शंखनाद
धरा से गगन तक प्रभा का देखो हुआ बसेरा

खिला चमन स्वच्छ वातावरण महकती फ़िज़ाएँ हैं
पेड़ों पर पंछी भी देखो चहक-चहक कर गाए हैं

पुरवइया ने आज सुबह से जलवा अपना बिखेरा है
दूर-दूर तक आसमान में परिंदों की टोली का फेरा है
© ऊषा 'रिमझिम'