...

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kitabi sa ishq
अाज बहुत दिनों बाद, आयी वो पुरानी किताबें याद;
अलमारी के किसी कोने में थी जो सजायी,
एक वक़्त गुजरा तो, फिर अाज वहाँ से उठायी;
धूल उन पर चमक रही थी, जाने क्यूँ ,फिर भी वो महक रही थी;
उसके कुछ अक्षर मिट चुके थे, शायद आख़िरी पन्ने फट चुके थे!
पहले पन्ने पर, धुंधला सा मेरा नाम लिखा था,
कुछ पन्नों के बीच गुलाब का इक फूल दिखा था!
देख उसे, थोड़ी सी, चेहरे पर उदासी छाई,
वो आख़िरी पन्ना देखा, तो आँखे मेरी मुस्कुराई,
सच में, एक अरसे बाद य़ाद तेरी बहुत सतायी!
कुछ देर बाद, ख्यालों से बाहर आकर मैंने देखा,
तू नहीं है साथ, फिर सोचा,
कितनी बावली थी मेरे हाथों की रेखा,
किताब के उस पन्ने पर फिर से हाथ फेरा,
एहसास हुआ,
बहुत प्यारा था साथ तेरा,
बहुत प्यारा था साथ तेरा!
©dreaming_soul