...

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उड़ जा परिंदे
ऐ परिंदे, एक बार पर फैला के तो देख,
अनचाही डोरियो को तोड़के तो देख,
अपनी जिंदगी के पन्नों को खोलके तो देख,

देख कितनी ऐसी पहेलियाँ है जिन्हे तुझे सुलझाना है,
कितने नए है पल जिन्हे तुझको जीना है..,

छोड़ दे ये दुनिया भर की चिंताये,
भुला दे पलो को जिन ने दी है तुझे मौत जैसी चिताये.,

एक बार पर फैला के तो देख,
एक बार उड़के तो देख.