...

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गुमनाम...🌿
उसने मेरे छोटेपन की इस तरह इज़्ज़त रखी
मैंने दिवारे उठाई उसने उन पर छत रखी
क्यूं हथेली की लकीरों से आगे हैं उंगलियां
रब ने भी किस्मत से आगे आपकी मेहनत रखी
उसने तो सबके दिलों को प्यार का तोफ़ा दिया
हमने ही फिर अपने दिल में किसलिए नफ़रत रखी
धर्म ने यह कब कहा इंसान की जान ले लीजिए
मजहबों के नाम...