शायद कभी तो आयेगा वह दिन
उसमें उसकी कोई गलती नहीं
गलती तो मेरी हैं
मैंने हर बार उसकी गलतियों को नजरंदाज की
उनके गुस्से को खामोश होकर सहती आई
मैंने अपनी हक़ के लिएं कभी इक शब्द भी नहीं बोली
क्योंकि मुझे नही आता ऐसे किसी से लड़ना झगड़ना
शायद इसी वजह का उसने फायदा उठाया
मुझे हर दिन तकलीफ देते आए
उसने तो मुझे मरने को भी छोड़ दिया था
ये तक कह दिया था की तुम मर क्यों...
गलती तो मेरी हैं
मैंने हर बार उसकी गलतियों को नजरंदाज की
उनके गुस्से को खामोश होकर सहती आई
मैंने अपनी हक़ के लिएं कभी इक शब्द भी नहीं बोली
क्योंकि मुझे नही आता ऐसे किसी से लड़ना झगड़ना
शायद इसी वजह का उसने फायदा उठाया
मुझे हर दिन तकलीफ देते आए
उसने तो मुझे मरने को भी छोड़ दिया था
ये तक कह दिया था की तुम मर क्यों...