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जाने का ग़म सबको है...
मौजूदगी की क़द्र नहीं, जाने का ग़म सबको है,
झूठे ख़्वाब के सच हो जाने का वहम सबको है।

सुन लेता दिल वो बात जो ज़ुबाँ कह नहीं पाती,
ऐतबार नहीं है मगर चाहने का अहम सबको है।

दिलों में धड़कते-² बन जाते हैं साँसों की घुटन,
धीरे-धीरे यूँ मिलता जुदाई का ज़ख़्म सबको है।

ना रोया, ना हँसा जाए, ना किसी से कहा जाए,
मुस्कुरा के लोगों को बनाने का भरम सबको है।

कहाँ से लाता है दिल दर्द सहने का हुनर 'धुन'?
सँवारने के साथ मिला तोड़ने का दम सबको है।
© संगीता साईं 'धुन'