हाँ ...ये वक़्त मंथन का है !
हाँ ...ये वक़्त मंथन का है !
हालात का ये चक्र बहुत सी परतें दिखा रहा है !
कुछ शिकार हैं ! और कुछ शिकारी !
पिस रहा है प्रहरी !
कहीं गरीबी लाचार कर रही है ....!
ओछी मानसिकता भी तो द्वार पर खड़ी है !
बात तो सम्पूर्ण सुरक्षा की है,
फिर...
हालात का ये चक्र बहुत सी परतें दिखा रहा है !
कुछ शिकार हैं ! और कुछ शिकारी !
पिस रहा है प्रहरी !
कहीं गरीबी लाचार कर रही है ....!
ओछी मानसिकता भी तो द्वार पर खड़ी है !
बात तो सम्पूर्ण सुरक्षा की है,
फिर...