बिछड़ना ही था
हम समझें जिसे मोहब्बत, वो नशा निकला
वक़्त के किसी करवट पे, नशा उतरना ही था
की जितने भी करीब हो जाओ किसी के तुम
गर दिल मे नहीं उसके, रिश्तों में फिसलना ही था
लाख कोशिशें कर लो अब, पिघलेगा नहीं
इतने जख्मों के बाद, दिल को उभरना ही क्या
टूटे हुए दिल को, कभी तो, बिखरना ही था
मिले थे यूँ ही राहों में, एक दिन बिछड़ना ही था
© paras
वक़्त के किसी करवट पे, नशा उतरना ही था
की जितने भी करीब हो जाओ किसी के तुम
गर दिल मे नहीं उसके, रिश्तों में फिसलना ही था
लाख कोशिशें कर लो अब, पिघलेगा नहीं
इतने जख्मों के बाद, दिल को उभरना ही क्या
टूटे हुए दिल को, कभी तो, बिखरना ही था
मिले थे यूँ ही राहों में, एक दिन बिछड़ना ही था
© paras