मैं अपना यौवन देता हूँ !
माँ यह जीवन बस मेरा है, लो अपना जीवन देता हूँ।
पास नहीं कुछ भी देने को, मैं अपना यौवन देता हूँ।।
खेल-कूद तेरे आँगन में, यह कद- काठी जो बड़ा हुआ।
चूम-चूम के पावन माटी, पग पर अपने जो खड़ा हुआ।।
तेरे कदमों में बिछने को, मै आज वही तन देता हूँ।
पास नहीं कुछ भी देने को, मैं अपना यौवन देता हूँ।।
हे भारत माँ...
पास नहीं कुछ भी देने को, मैं अपना यौवन देता हूँ।।
खेल-कूद तेरे आँगन में, यह कद- काठी जो बड़ा हुआ।
चूम-चूम के पावन माटी, पग पर अपने जो खड़ा हुआ।।
तेरे कदमों में बिछने को, मै आज वही तन देता हूँ।
पास नहीं कुछ भी देने को, मैं अपना यौवन देता हूँ।।
हे भारत माँ...