![...](https://api.writco.in/assets/images/post/default/story-poem/normal/2.webp)
5 views
आ रहा हूं।
कहानी के किरदार में आ रहा हूं,
मैं अब बाज़ार में आ रहा हूं।
देखूं तो मैं अपना की रुखसार,
सुना हैं मैं अख़बार में आ रहा हूं।
मेरे नाम से शहर चलता है पूरा,
आजकल में कारोबार में आ रहा हूं।
ए परवरदिगार क़ुबूल कर सजदे मेरे,
मैं सब छोड़छाड़ के तेरे द्वार आ रहा हूं।
अब तो जीत की खुशियां मनाओ यारों,
मैं अपना सबकुछ हार कर आ रहा हूं।
हुक़ूमत सलाम फरमाओ मेरे आने पर,
मैं तुम्हारे दरबार में आ रहा हूं।
© वि.र.तारकर.
मैं अब बाज़ार में आ रहा हूं।
देखूं तो मैं अपना की रुखसार,
सुना हैं मैं अख़बार में आ रहा हूं।
मेरे नाम से शहर चलता है पूरा,
आजकल में कारोबार में आ रहा हूं।
ए परवरदिगार क़ुबूल कर सजदे मेरे,
मैं सब छोड़छाड़ के तेरे द्वार आ रहा हूं।
अब तो जीत की खुशियां मनाओ यारों,
मैं अपना सबकुछ हार कर आ रहा हूं।
हुक़ूमत सलाम फरमाओ मेरे आने पर,
मैं तुम्हारे दरबार में आ रहा हूं।
© वि.र.तारकर.
Related Stories
5 Likes
0
Comments
5 Likes
0
Comments