...

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आ रहा हूं।
कहानी के किरदार में आ रहा हूं,
मैं अब बाज़ार में आ रहा हूं।

देखूं तो मैं अपना की रुखसार,
सुना हैं मैं अख़बार में आ रहा हूं।

मेरे नाम से शहर चलता है पूरा,
आजकल में कारोबार में आ रहा हूं।

ए परवरदिगार क़ुबूल कर सजदे मेरे,
मैं सब छोड़छाड़ के तेरे द्वार आ रहा हूं।

अब तो जीत की खुशियां मनाओ यारों,
मैं अपना सबकुछ हार कर आ रहा हूं।

हुक़ूमत सलाम फरमाओ मेरे आने पर,
मैं तुम्हारे दरबार में आ रहा हूं।

© वि.र.तारकर.