...

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दौड़
ज़िंदगी की दौड़ कुछ ऐसी चली,
जैसे बसेरे की खोज मै निकला पंछी,
कहीं परिवार के साथ,
कहीं दोस्तो के साथ,
तो कभी तन्हाई में अपनो की याद के साथ,
जाग...