अनकहीं बातें..
बातें कुछ अनकहीं सी,
कुछ अनसुनी सी..
कुछ आधी अधूरी कहानी,
कुछ आधी अधूरी मुलाकातें,
वो आधी सी बातें।
कुछ अनकहे लफ्ज़,
कुछ अनसुने अल्फ़ाज़।
कुछ सवाल जो पूछ ना सके,
कुछ जवाब जो सुन ना सके,
कुछ आधे अधूरे जज़्बात,
छूटा हुआ साथ।
वो बिता हुआ वक़्त,
वो लम्हा, वो चाह
हम नही जानते वो कोन सा रिश्ता था,
दोस्ती तो थी पर दोस्ती से थोड़ा ज़्यादा,
इश्क़ या कुछ कुछ इश्क़ सा,
वो जो भी था, कुछ तो खास था,
जिसका एहसास आज भी है।
फिर भी लगता है,
रह गया कुछ आधा अधूरा सा,
अगर मिल जाये कहीं वो फुर्सत से,
पूरा करना है ये जो आधा सा है।
अब बस कुछ जवाब चाहिए,
और वो यादें जिंदगी भर की।
बहोत दूर जा चुके हम,
अब लौट के ना आ पाएंगे
बस पूरा करना है ये जो छूट गया था अधूरा सा।
कुछ अनसुनी सी..
कुछ आधी अधूरी कहानी,
कुछ आधी अधूरी मुलाकातें,
वो आधी सी बातें।
कुछ अनकहे लफ्ज़,
कुछ अनसुने अल्फ़ाज़।
कुछ सवाल जो पूछ ना सके,
कुछ जवाब जो सुन ना सके,
कुछ आधे अधूरे जज़्बात,
छूटा हुआ साथ।
वो बिता हुआ वक़्त,
वो लम्हा, वो चाह
हम नही जानते वो कोन सा रिश्ता था,
दोस्ती तो थी पर दोस्ती से थोड़ा ज़्यादा,
इश्क़ या कुछ कुछ इश्क़ सा,
वो जो भी था, कुछ तो खास था,
जिसका एहसास आज भी है।
फिर भी लगता है,
रह गया कुछ आधा अधूरा सा,
अगर मिल जाये कहीं वो फुर्सत से,
पूरा करना है ये जो आधा सा है।
अब बस कुछ जवाब चाहिए,
और वो यादें जिंदगी भर की।
बहोत दूर जा चुके हम,
अब लौट के ना आ पाएंगे
बस पूरा करना है ये जो छूट गया था अधूरा सा।