...

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एक अजनबी
एक दिन यूं ही मिल गया वो......

वो अजनबी जाना पहचाना सा.....।
कभी ना देखा था वो चेहरा अनजाना सा।।

उसकी बातों में कैसा अपनापन था।
जाने कब से पहचान हो,दिल ने ऐसा माना था।।

मैं उदास सी खुद में खोई हुई सी....

उससे मिलके जीना सीख रही थी।
आंखों में सपनो की एक दुनिया तैर रही थी।।

जिसे बारिश पसंद ना थी कभी।
अब वो सावन में भीग रही थी।।

उसकी बातों में जैसे जादू था।
उससे मिल के दिल बेकाबू था।।

वो अजनबी मुझे जीना सीखा गया।
कुछ भी हो जाए, सब सहना सीखा गया।।

आज भी उसे याद करके दिल खुशी से भर जाता है।
उसकी यादों में वक्त जाने किधर जाता है।।

हमेशा याद रहेगा, वो चेहरा अनजाना-सा।
वो अजनबी जाना पहचाना-सा।।


© hasratein_dill_ki