बचपन के दिन
कुछ अच्छी कुछ बुरी यादें, कभी हंसती कभी रोती रातें,
वो मुस्कराता बचपन वो खिलखिलाती प्यारी बातें ।
याद आता है वो प्यारा-सा आँगन वो खुली छत के नीचे बीती रातें,
वो महकता फ़ूलों का बागीचा जहां हम बैठते प्यारे गीत गाते ।
पिताजी की डांट दादी का प्यार मां के हाथ से खाना खाते,
रोज सवेरे-सवेरे साइकल पर पिताजी संग स्कूल जाते।
शाम को थककर पैदल चलकर फिर घर आ जाते,
दादी सुनाती पुरानी कहानियां फिर सुनते उन्हीं की गोद में सो जाते।
अब बस यादें हैं ना रहीं अब वो पहले वाली बातें ,
© Ritesh
वो मुस्कराता बचपन वो खिलखिलाती प्यारी बातें ।
याद आता है वो प्यारा-सा आँगन वो खुली छत के नीचे बीती रातें,
वो महकता फ़ूलों का बागीचा जहां हम बैठते प्यारे गीत गाते ।
पिताजी की डांट दादी का प्यार मां के हाथ से खाना खाते,
रोज सवेरे-सवेरे साइकल पर पिताजी संग स्कूल जाते।
शाम को थककर पैदल चलकर फिर घर आ जाते,
दादी सुनाती पुरानी कहानियां फिर सुनते उन्हीं की गोद में सो जाते।
अब बस यादें हैं ना रहीं अब वो पहले वाली बातें ,
© Ritesh