मंजर
हार कर भी आज न जाने क्यों जीत का एहसास हो रहा है,
कैद पिंजरे से एक खुले आसमान का आगास हो रहा है।
बन्द हो...
कैद पिंजरे से एक खुले आसमान का आगास हो रहा है।
बन्द हो...