...

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हो तुम थोड़े नादान...
खूबसूरत है तुम्हारा दिल..
नहीं देखा मैंने कभी,
पर है महसूस किया,
करते हो तुम बचकानी हरकतें,
जाने क्यों रूठ जाते हो छोटी-छोटी बातों पर,
तुम्हें मनाना है थोड़ा मुश्किल,
पर रिजना उतना ही आसान,
हो जाते तुम छोटी-छोटी बातों से खुश,
हो तुम थोड़े से नाजुक,
कुछ ज्यादा ही हो तुम शर्मीले से
जाने क्यों तुम अपनी बातें बयान नहीं करते
क्यों दबाए रखते हो ढेर सारी एहसासे ..
कभी तो तुम खुलकर कहो,
क्यों छुपाए बैठे हो इतने सारे राज,
जितना भी जाना तुमको
जाने क्यों तुम एक गहरी रात सी लगते हो ,
हो तुम एक पहेली सी,
जितना भी सुलझाती हूं ,
तुम और उलझ जाते हो,
हो तुम थोड़े से नादान,
नहीं समझ पाते तुम ,
हो मेरे लिए कितने खास...

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