...

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आ मेरी बाहों में कभी
आ मेरी बाहों में कभी
की बेचैनी को सुकून मिले
तेरे दर्द पिघले मेरे सीने में
और धड़कने हूबहू मिले
जैसे आईने में दिखता है कभी
कोई अपना सा, जो अपना बने
जिससे मिलकर मिटे शिकवे गीले
जिससे हो सुबह, जिसपे शामें ढले
© paras