...

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तुम्हें नमन करते हैं


वाह क्या समय आया है
जिनको करते थे तुम ज़लील
आज उनके ही भरोसे चल रहा जग सारा है ,
याद करो ..... हां याद करो
बोला करते थे तुम उसे दिन - रात ....
क्या मामूली नर्स बनना ही तुम्हारा सपना था ?
सपने भी तुम्हारे तुम जैसे ही छोटे हैं ,
डॉक्टर भी तो बन सकती थी ..... ओह ! पर तुम पढ़ती ही कहा थी ?
सुन कर ये सब वो कभी कुछ भी ना कहती थी ,
बस होठों पे उसके रहती हमेशा एक सी हसी थी .....
आज जब पूरा देश तबाह हैं
तब वो भी कोई खुश नहीं ,
पर उसे तसल्ली है इस बात की ,
कि नहीं रहना पड़ेगा उसे हाथ पे हाथ धरे
कर सकती हैं कम से कम देखभाल वो...