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जिंदगी सबकी समान नहीं होती
पूरी सुखों से भरी या पूरी दुखों से भरी नहीं होती
सुख-दुख दोनों के साथ-सरगम का रस है होती
पर जब एक सुख ऐसा हो के हर दुख उसके समक्ष छोटा प्रतीत हो
वो सुख सर्वोपरि हो हर दुख को सहने की शक्ति उसमें समाहित हो
तो उन छोटे -छोटे दुखों की ओर नहीं उस सर्वोपरि सुख की ओर ध्यान केंद्रित कीजिए
जिंदगी अपने आप सकारात्मकता की ओर केंद्रित हो जाएगी
कुछ जब यह...