...

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ankaha such
कुछ बातें थी,
अनकही सी,
तुम्हें बतानी वो बाकी थी,
मोहब्बत थी मेरी,
सच्ची सी,
तुम्हें जतानी वो बाकी थी,
और कदम मेरे चले ही थे,
मुश्किल से,
दिल को कहीं हौले से ,
समझा कर,
आँखें यूँ तो बयाँ कर ही चुकी थी,
राज गहरे,
पर शायद तुम्हें आँखों की भाषा समझ न आई,
तो दिल ने लफ़्ज़ों का सहारा लेकर कहना चाहा,
मगर लफ्ज़ खामोश से रह गए,
और कुसुर उनका भी न था,
कानों ने तुमसे किसी और का नाम जो सुन लिया था।

© midnyt_ink


#unexpressed #UnreqiutedLove