...

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पल..🎐

एक पल रुक के सोचने में क्या हर्ज है
पल दो पल ठहर के पीछे मुड़ने मैं क्यों दर है
ज़िन्दगी में जो रहहे उसे क़ुबूल करो
दुसरो से उम्मीद करके क्यों दर्द सहे ...