...

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वो माँ हैं,,,
पलको पे जो अक्सर "
बच्चों को बैठाती है ....
वो माँ है,
जो उन्हे हसांती है,,,,,!!!

बेवजह चिल्लाकर अपने "
बच्चों को डराती है....
वो माँ है,
जो बाद में उन्हे मनाती है,,,,!!!

भूख लगने पर अपने "
हाथों से खाना खिलाती है....
वो माँ है,
जो बच्चों पर "
अपना हक जताती है,,,!!

कभी भटके तो वह "
सही राह दिखाती है....
वो माँ है,
जो सही गलत का "
बच्चों को फर्क सिखाती है,,,!!!

कभी हो जाए गलती "
एक बार में माफ कर जाती हैं....
वो माँ है,
जो गलती करने से "
बच्चों को बचाती है,,,,!!!

लड़ते हैं जब भाई-बहन "
एक साथ सबकी पिटाई हो जाती हैं....
वो माँ है,
जो पिटाई मे भी सब पर "
एक बराबर हक जताती हैं,,,!!!

लग जाए जो चोट तो "
वह आग बबूला हो जाती हैं....
वो माँ है,
जो गुस्से से ही "
अपनी फिक्र दिखाती हैं,,,,!!!

बच्चों की खुशी के लिए "
पूरी दुनिया से लड़ जाती है....
वो माँ है,
जो जी-भर के "
बच्चों पर प्यार लुटाती है,,,,!!!

बच्चों के बड़े होने के बाद भी "
अपने हाथों से,
वह खाना बनाती हैं....
वो माँ है,
जो बुढ़ापे मे भी "
अपना कर्तव्य निभाती हैं,,,!!!


© Himanshu Singh