“ख़ुद को अकेला पाया है”
ख़ामोश पड़े हुए इन रास्तों ने बताया है
जिन्हें भी रास्ता दिखाया है
उन्होंने ने ही तन्हाई में जीना सिखाया है
लोग समझते नहीं जज़्बातों को और
कहते हैं हमसे बातें करने में
होता उनका वक्त ज़ाया है...
दर्द ही एक अपना सा है
सुख तो फिर भी पराया है
क्यों चार पल की खुशियां ढूंढूं
गम ही तो मेरा हमसाया है...
उनपर अब जब दिल आया है
कहते हैं झूठा ही दिल लगाया है
अपने प्रति हमेशा उनको
मैंने सख़्त ही पाया है...
आता है हमको भी दिल्लगी करना
पर इसे कभी नहीं अपनाया है
जब भी की हमने मोहब्बत
शिद्दत से उसे निभाया है...
नादान सा ये दिल मेरा आज बड़ा भरमाया है
आखिर कब कौन यहां साथ आया है
जब भी पड़ी ज़रूरत दिल को
ख़ुद को अकेला पाया है...
© ढलती_साँझ
जिन्हें भी रास्ता दिखाया है
उन्होंने ने ही तन्हाई में जीना सिखाया है
लोग समझते नहीं जज़्बातों को और
कहते हैं हमसे बातें करने में
होता उनका वक्त ज़ाया है...
दर्द ही एक अपना सा है
सुख तो फिर भी पराया है
क्यों चार पल की खुशियां ढूंढूं
गम ही तो मेरा हमसाया है...
उनपर अब जब दिल आया है
कहते हैं झूठा ही दिल लगाया है
अपने प्रति हमेशा उनको
मैंने सख़्त ही पाया है...
आता है हमको भी दिल्लगी करना
पर इसे कभी नहीं अपनाया है
जब भी की हमने मोहब्बत
शिद्दत से उसे निभाया है...
नादान सा ये दिल मेरा आज बड़ा भरमाया है
आखिर कब कौन यहां साथ आया है
जब भी पड़ी ज़रूरत दिल को
ख़ुद को अकेला पाया है...
© ढलती_साँझ