...

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“ख़ुद को अकेला पाया है”
ख़ामोश पड़े हुए इन रास्तों ने बताया है
जिन्हें भी रास्ता दिखाया है
उन्होंने ने ही तन्हाई में जीना सिखाया है
लोग समझते नहीं जज़्बातों को और
कहते हैं हमसे बातें करने में
होता उनका वक्त ज़ाया है...

दर्द ही एक अपना सा है
सुख तो फिर भी पराया है
क्यों...